Rupee Stability 2024 भारतीय अर्थव्यवस्था की एक मजबूत पहचान बनकर उभरी है। वित्त वर्ष 2023-24 में, रुपया सबसे कम अस्थिर मुद्रा के रूप में उभरा। यह स्थिरता विदेशी निवेश, सेवा क्षेत्र की वृद्धि, और विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी जैसे कारकों का परिणाम है।
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FY24 में रुपये का प्रदर्शन:
- FPI प्रवाह: $44.1 बिलियन
- विदेशी मुद्रा भंडार वृद्धि: $68 बिलियन
- मुद्रा दर: ₹82-₹83.5/USD
Rupee Stability 2024 के प्रमुख कारण
1. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)
Rupee Stability 2024 का मुख्य कारण FPI का $44.1 बिलियन का सकारात्मक प्रवाह है। इसने रुपये को ₹82-₹83.5/USD के दायरे में स्थिर रखा।
2. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
FY24 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $68 बिलियन बढ़ा, जिससे Rupee Stability 2024 को मजबूती मिली।
3. सेवा क्षेत्र का योगदान
भारत सेवा निर्यात में विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश बन गया है। यह Rupee Stability 2024 के पीछे एक अन्य महत्वपूर्ण कारण है।
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Rupee Stability 2024 का महत्व
- विदेशी निवेश आकर्षित करना: रुपये की स्थिरता ने भारत को एक विश्वसनीय निवेश स्थल बनाया।
- आयात-निर्यात संतुलन: Rupee Stability 2024 ने व्यापार घाटे को कम करने में मदद की।
- आम आदमी के लिए राहत: स्थिर मुद्रा के कारण मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर असर पड़ा।
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भविष्य की संभावनाएं
- नए FTAs से Rupee Stability 2024 और मजबूत होगी।
- PLI योजना घरेलू उद्योग को बढ़ावा देगी, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी।
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निष्कर्ष
Rupee Stability 2024 भारतीय आर्थिक प्रगति की एक प्रेरणादायक कहानी है। यह स्थिरता न केवल आर्थिक नीतियों की सफलता को दर्शाती है, बल्कि भारत के वैश्विक महत्व को भी रेखांकित करती है।