RIP Ratan Tata Ji: भारतीय उद्योग का सितारा अस्त हुआ

9 अक्टूबर 2024 को, देश के महान उद्योगपति और दानवीर Ratan Tata जी का निधन हो गया। 86 वर्ष की उम्र में, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरा देश शोक में डूब गया, और हर तरफ से श्रद्धांजलियां अर्पित की जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिजनेस लीडर मुकेश अंबानी, और कई अन्य प्रमुख हस्तियों ने उनके योगदान को याद करते हुए गहरा दुख व्यक्त किया।

Ratan Tata

रतन टाटा जी का स्वास्थ्य पिछले कुछ महीनों से बिगड़ रहा था। उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनमें श्वास और हृदय संबंधी जटिलताएं शामिल थीं। टाटा परिवार और करीबी सूत्रों ने बताया कि उनकी तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें जल्द ही अस्पताल में भर्ती किया गया।

2024 के अंत में, रतन टाटा को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जो उनके पुराने स्वास्थ्य सलाहकारों की देखरेख में था। विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थी और उन्हें हर संभव उपचार दिया जा रहा था। हालांकि, उनकी स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती चली गई। टाटा समूह के कर्मचारियों और उनके प्रशंसकों को भी उनकी बिगड़ती हालत के बारे में जानकारी मिल रही थी, जिससे देशभर में उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ती जा रही थी।

अक्टूबर के पहले सप्ताह में, टाटा जी की हालत और भी गंभीर हो गई, और उन्हें जीवनरक्षक उपकरणों पर रखा गया। उनकी सेहत को लेकर टाटा समूह और अस्पताल के अधिकारियों द्वारा कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया, लेकिन मीडिया रिपोर्टों में लगातार उनकी खराब हालत की खबरें आ रही थीं। अंततः, 9 अक्टूबर की सुबह, उनके निधन की पुष्टि की गई, जिससे देशभर में शोक की लहर दौड़ गई।

रतन टाटा जी के निधन की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा, “रतन टाटा जी का जीवन समाज और देश के लिए समर्पित था। उनकी दूरदर्शिता और उदारता ने भारत के औद्योगिक और सामाजिक विकास में अनमोल योगदान दिया है।” बिजनेस लीडर मुकेश अंबानी ने भी गहरे दुख के साथ कहा, “रतन टाटा जी के निधन से हम एक महान दोस्त और प्रेरणा स्रोत खो चुके हैं। उनके योगदान और सरलता को कभी भुलाया नहीं जा सकता।”

उनके योगदान की अमर विरासत

रतन टाटा जी का जीवन भारतीय उद्योग और समाज के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने न केवल टाटा समूह को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दी, बल्कि समाज सेवा और परोपकार के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन को भी बेहतर बनाया। टाटा ट्रस्ट्स के जरिए उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया, जिसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी मिलता रहेगा।

टाटा का अद्वितीय नेतृत्व

रतन टाटा जी ने 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभाला। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने 100 से अधिक देशों में अपना व्यापार फैलाया और इसे एक वैश्विक कंपनी के रूप में स्थापित किया। टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील द्वारा कोरस जैसी कंपनियों का अधिग्रहण उनकी सबसे बड़ी सफलताओं में से एक थी। उनकी इस सफलता ने टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया।

समाज सेवा और परोपकार का प्रतीक

रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे; वह एक दानवीर भी थे। उन्होंने अपनी आय का लगभग 60-65 प्रतिशत दान में दिया, जिससे उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी दानशीलता ने लाखों लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने कई सामाजिक परियोजनाओं को बढ़ावा दिया, जिससे देश में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।

दुनिया के सबसे सस्ते कार “नैनो” का निर्माण

रतन टाटा जी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण 2008 में “टाटा नैनो” का जन्म हुआ, जिसे दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में जाना जाता है। यह कार कम आय वाले परिवारों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी, जिससे वे मोटरसाइकिल और स्कूटर की जगह चार पहिया वाहन खरीद सकें। इस पहल ने उन्हें आम जनता के दिलों में एक विशेष स्थान दिलाया।

Tata Nano

टाटा की विनम्रता और मानवीयता

टाटा जी की सबसे बड़ी विशेषता उनकी विनम्रता और मानवीयता थी। उन्होंने हमेशा अपने कर्मचारियों और आम लोगों से जुड़कर काम किया। उनकी इस सरलता ने उन्हें करोड़ों दिलों का प्रिय बना दिया। उनके निधन पर, टाटा समूह के मौजूदा चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, “रतन टाटा जी एक अद्वितीय नेता थे। उन्होंने टाटा समूह को एक नई दिशा दी और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी विरासत हम सभी को प्रेरित करती रहेगी।”

रतन टाटा जी के निधन से न केवल टाटा समूह को, बल्कि पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके द्वारा स्थापित मूल्य और सिद्धांत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।

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