भारत ने COP29 में प्रस्तावित $300 Billion Climate Finance Package को खारिज कर दिया। यह पैकेज 2035 तक विकासशील देशों को आर्थिक मदद का वादा करता है, लेकिन भारत का कहना है कि यह उनकी वास्तविक जरूरतों को पूरा नहीं करता।
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$300 Billion Climate Finance Package पर भारत की आपत्ति
1. अपर्याप्त राशि:
भारत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को हर साल $1.3 ट्रिलियन की जरूरत है। यह पैकेज उनकी उम्मीदों से काफी कम है।
2. भागीदारी की कमी:
भारत ने आरोप लगाया कि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने से पहले विकासशील देशों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। इसे “अन्यायपूर्ण और पूर्व-निर्धारित” प्रक्रिया बताया गया।
अन्य देशों का समर्थन
भारत के रुख को नाइजीरिया, मलावी और बोलिविया जैसे देशों का समर्थन मिला। इन देशों ने भी $300 Billion Climate Finance Package को “अपर्याप्त और एकतरफा” बताया।
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$300 Billion Climate Finance Package की प्रमुख बातें
- यह नया प्रस्ताव 2009 में किए गए $100 Billion वार्षिक जलवायु वित्त लक्ष्य की जगह लेता है।
- 2035 तक $1.3 ट्रिलियन का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसे सभी देशों का संयुक्त प्रयास बताया गया है।
भारत का रुख क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत का यह फैसला विकासशील देशों की वास्तविक जरूरतों और उनकी आवाज को विश्व मंच पर सामने रखने की कोशिश है। यह फैसला दर्शाता है कि जलवायु वित्त पर वैश्विक सहमति अभी भी दूर है।
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